प्राचीन दुनिया के दो अद्भुत जीव: एक डायनासोर का शिकारी, दूसरा काँटों वाला शाकाहारी
वैज्ञानिकों ने हाल ही में दो अलग-अलग खोजों में प्रागैतिहासिक काल के दो बेहद अनोखे जीवों के जीवाश्मों का खुलासा किया है, जिन्होंने पृथ्वी पर जीवन के बारे में हमारी समझ को और गहरा कर दिया है। अर्जेंटीना में, शोधकर्ताओं ने एक विशाल ‘महा-मांसाहारी’ (hypercarnivore) के कंकाल का पता लगाया है जो डायनासोर का शिकार करता था। वहीं, मोरक्को में एक ऐसे विचित्र डायनासोर के अवशेष मिले हैं जिसके शरीर पर हथियार जैसे काँटे लगे थे।
पेटागोनिया का ‘महा-मगरमच्छ’ जो डायनासोर खाता था
लाखों साल पहले, दक्षिणी पेटागोनिया (अर्जेंटीना) के नम मीठे पानी के मैदानी इलाकों में एक विशाल मगरमच्छ जैसा शिकारी राज करता था। यह लगभग 11.5 फीट (3.5 मीटर) लंबा और 250 किलोग्राम वजनी था और अपने रास्ते में आने वाले किसी भी जीव का शिकार कर लेता था, जिसमें कुछ डायनासोर भी शामिल थे।
वैज्ञानिकों ने हाल ही में इस शिकारी का एक कंकाल खोजा है, जिसमें उसकी खोपड़ी और जबड़े भी शामिल हैं। इसे कोस्टेनसुचुस एट्रोक्स (Kostensuchus atrox) नाम दिया गया है। यह जीव एक ‘हाइपरकार्निवोर’ था, यानी इसके आहार का 70% से अधिक हिस्सा मांस था। यह आधुनिक मगरमच्छों और घड़ियालों का एक प्राचीन रिश्तेदार था, जिसे पेरोसॉरिड क्रोकोडिलिफॉर्म (peirosaurid crocodyliform) समूह में रखा गया है। यह खोज अर्जेंटीना के चोरिल्लो फॉर्मेशन (Chorrillo Formation) में हुई है, जो लगभग 7 करोड़ साल पुराना है। यह इस समूह का अब तक का सबसे पूर्ण जीवाश्म है।
इस जीव का सिर बहुत बड़ा, जबड़े शक्तिशाली और दाँत बड़े और आरी जैसे धारदार थे, जो बड़े शिकार के मांस को चीरने-फाड़ने के लिए बने थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह जमीन पर शाकाहारी डायनासोर का आसानी से शिकार कर सकता था। इस खोज से यह भी पता चलता है कि यह प्राचीन सरीसृप समूह केवल ब्राजील के गर्म और शुष्क क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि पेटागोनिया के समशीतोष्ण वातावरण में भी रहता था।
एक दिलचस्प बात यह है कि विशेषज्ञ बताते हैं कि यह जीव ‘अभिसारी विकास’ (convergent evolution) का एक उदाहरण है, जहाँ अलग-अलग प्रजातियाँ स्वतंत्र रूप से एक जैसा रूप और जीवन शैली विकसित कर लेती हैं। हालाँकि, इसका अत्यधिक मांसाहारी होना ही शायद इसके विलुप्त होने का कारण बना। जब क्रिटेशियस काल के अंत में बड़े पैमाने पर विलुप्तीकरण की घटना हुई, तो के. एट्रोक्स जैसे बड़े शिकारी खुद को बचा नहीं सके, जबकि छोटे और विविध आहार वाले मगरमच्छों के समूह बच गए।
मोरक्को का अद्भुत काँटेदार डायनासोर
दूसरी ओर, मोरक्को में शोधकर्ताओं ने एक ऐसे डायनासोर के अवशेषों का पता लगाया है जो किसी कल्पना से कम नहीं है। यह डायनासोर 16.5 करोड़ साल से भी पहले धरती पर घूमता था और इसका नाम स्पाइकोमेलस (Spicomellus) है। यह एक शाकाहारी जीव था, जिसका आकार एक छोटी कार के बराबर था, लेकिन इसकी शारीरिक बनावट बेहद अजीब और डरावनी थी।
इसके शरीर पर हड्डियों का एक जटिल कवच था। शोध के अनुसार, इसकी गर्दन पर तीन फुट लंबे काँटे, कूल्हों के ऊपर विशाल सीधे काँटे और पूरे शरीर पर ब्लेड जैसे तेज काँटों की एक श्रृंखला थी। सबसे अनोखी बात यह थी कि इसकी पसलियों से काँटे जुड़े हुए थे और बाहर की ओर निकले हुए थे – ऐसी विशेषता किसी भी अन्य जीवित या विलुप्त कशेरुकी (vertebrate) जीव में पहले कभी नहीं देखी गई।
इस प्रोजेक्ट के सह-प्रमुख रिचर्ड बटलर ने इस जीवाश्म को पहली बार देखने के अनुभव को “रोंगटे खड़े कर देने वाला” बताया। उनका कहना है कि यह डायनासोर हमारी अब तक की जानकारी से बिल्कुल अलग है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस जटिल कवच का उपयोग केवल रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि साथियों को आकर्षित करने और प्रतिद्वंद्वियों को डराने के लिए भी किया जाता था। इसके अलावा, इसकी पूंछ की हड्डियाँ आपस में जुड़कर एक “हैंडल” बनाती थीं, जिसके अंत में संभवतः एक गदा जैसा हथियार रहा होगा। यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले माना जाता था कि एंकिलोसॉर (ankylosaur) डायनासोर में यह विशेषता लाखों साल बाद विकसित हुई थी। यह खोज एंकिलोसॉर के विकास के बारे में हमारी पुरानी धारणाओं को चुनौती देती है और यह साबित करती है कि डायनासोर की दुनिया में अभी भी बहुत से रहस्य उजागर होना बाकी हैं।