बीएसएनएल की आक्रामक वापसी: सस्ता प्लान और 4G विस्तार के बीच एयरटेल से तकनीकी टकराव
निजी टेलीकॉम कंपनियों द्वारा हाल ही में मोबाइल टैरिफ में की गई बढ़ोतरी ने उपभोक्ताओं को नए विकल्पों की तलाश करने पर मजबूर कर दिया है। महंगे होते रिचार्ज के बीच सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कमर कस ली है। कंपनी ने न केवल एक बेहद किफायती लंबी अवधि का प्लान पेश किया है, बल्कि अपनी 4G सेवाओं के विस्तार में भी तेजी दिखाई है। हालांकि, इस विस्तार की राह में कुछ तकनीकी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं, जहां एयरटेल ने बीएसएनएल के नेटवर्क उपकरणों पर सवाल खड़े किए हैं।
किफायती दाम में लंबी वैलिडिटी का दांव
उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बीएसएनएल ने 997 रुपये का एक नया रिचार्ज प्लान लॉन्च किया है, जो सीधे तौर पर उन यूजर्स को राहत देगा जो बार-बार रिचार्ज के झंझट से बचना चाहते हैं। इस प्लान की सबसे बड़ी खासियत इसकी 160 दिनों, यानी लगभग 5 महीने की वैलिडिटी है। अगर सुविधाओं की बात करें तो ग्राहकों को इसमें प्रतिदिन 2GB डेटा मिलेगा, जिसका मतलब है कि पूरी वैलिडिटी के दौरान कुल 320GB डेटा का लाभ उठाया जा सकेगा।
इसके अलावा, कंपनी किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग और प्रतिदिन 100 एसएमएस की सुविधा भी दे रही है। देशभर में मुफ्त रोमिंग के साथ-साथ इस पैक में ज़िंग म्यूजिक, बीएसएनएल ट्यून्स और हार्डी गेम्स जैसी वैल्यू-ऐडेड सेवाएं भी शामिल हैं। मौजूदा बाजार में जहां अन्य कंपनियां कीमतें बढ़ा रही हैं, बीएसएनएल का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
4G लॉन्च की तैयारियां और जमीनी हकीकत
सिर्फ सस्ता प्लान ही नहीं, बीएसएनएल अपनी नेटवर्क क्षमता को आधुनिक बनाने के लिए भी तेजी से काम कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी 15 अक्टूबर के आसपास आधिकारिक तौर पर अपनी 4G सेवाओं की घोषणा कर सकती है। दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में भी सेवा शुरू करने की योजना है और कंपनी ने कई सर्किलों में 4G सिम कार्ड बांटना शुरू कर दिया है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, बीएसएनएल ने अब तक करीब 25,000 साइट्स स्थापित कर ली हैं और ट्रायल फेज में कई जगहों पर सेवाएं शुरू भी हो चुकी हैं। यह कदम कंपनी को निजी कंपनियों के मुकाबले खड़ा करने में मददगार साबित होगा।
एयरटेल ने उठाए नेटवर्क उपकरणों पर सवाल
एक तरफ जहां बीएसएनएल विस्तार की ओर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ एक नया विवाद खड़ा हो गया है। देश की प्रमुख निजी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने बीएसएनएल के लिए उपकरण मुहैया कराने वाली घरेलू कंपनी ‘तेजस नेटवर्क्स’ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ईटी टेलीकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, एयरटेल ने शिकायत की है कि राजस्थान सर्किल में तेजस द्वारा लगाए गए बीएसएनएल के 4G उपकरण ‘सब-स्टैंडर्ड’ यानी निम्न गुणवत्ता के हैं, जिससे एयरटेल के नेटवर्क में व्यवधान (इंटरफेरेंस) पैदा हो रहा है।
स्पेक्ट्रम बैंड का तकनीकी पेंच
यह विवाद मुख्य रूप से फ्रीक्वेंसी बैंड को लेकर है। एयरटेल का दावा है कि बीएसएनएल का 4G नेटवर्क, जो 800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड का उपयोग करता है, एयरटेल के 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के संचालन में बाधा डाल रहा है। एयरटेल का कहना है कि समस्या तेजस के रेडियो उपकरणों के फिल्टर डिजाइन में है। भारत में 800 मेगाहर्ट्ज का डाउनलिंक 869-889 मेगाहर्ट्ज तक सीमित है, लेकिन आरोप है कि सही फिल्टर न होने के कारण यह सिग्नल 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में लीक हो रहा है।
हालांकि, तेजस नेटवर्क्स ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि उनके रेडियो उपकरण 3GPP के मानकों और बीएसएनएल की तकनीकी आवश्यकताओं का पूरी तरह पालन करते हैं। तेजस का कहना है कि समस्या उपकरणों में नहीं, बल्कि राजस्थान सर्किल में स्पेक्ट्रम बैंड्स के आपस में ओवरलैप होने के कारण है। कंपनी का कहना है कि वे दूरसंचार विभाग (DoT), एयरटेल और बीएसएनएल के साथ मिलकर अतिरिक्त फिल्टरिंग के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
स्वदेशी तकनीक की परीक्षा
यह पूरा घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि तेजस नेटवर्क्स बीएसएनएल के नेटवर्क में भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित 4G स्टैक तैनात कर रहा है। पिछले सितंबर में लॉन्च किए गए ‘भारत टेलीकॉम स्टैक’ में तेजस के बेस स्टेशन, सी-डॉट (C-DOT) का कोर नेटवर्क और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के डेटा सेंटर शामिल हैं। भारत सरकार इस प्रोजेक्ट को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर मान रही है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक दूरसंचार विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है। ऐसे में, इन शुरुआती तकनीकी बाधाओं को दूर करना इस स्वदेशी मुहीम की सफलता के लिए बेहद जरूरी होगा।









